स्वतंत्रता दिवस पर भाषण
यहाँ पर उपास्थित मुख्य अतिथि और सभी गुरुजनों अध्यापकों देवियों सजनों माता पिताओं और मेरे सभी छोटे बड़े प्यारे प्यारे बच्चे और बच्चियों आप सभी को मेरा नमस्कार,
जय हिंद! जय भारत!
आज हम सब यहाँ भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर एकत्र हुए हैं। यह दिन हम सबके लिए गर्व, सम्मान और देशभक्ति का प्रतीक है। 15 अगस्त 1947 को हमारे देश ने अंग्रेजों की गुलामी से आज़ादी पाई थी। यह सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों के त्याग, बलिदान और संघर्ष की कहानी है।
हमारे स्वतंत्रता सेनानियों
हमारे स्वतंत्रता सेनानियों – महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और हजारों अज्ञात वीरों ने बिना डरे, बिना रुके देश की आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी, ताकि हम आज़ाद भारत में साँस ले सकें।
आज हम जिस खुले आकाश में जी रहे हैं, अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं, शिक्षा पा सकते हैं, अपने सपने साकार कर सकते हैं – यह सब उन्हीं महान आत्माओं की वजह से संभव हुआ है।
आज़ादी सिर्फ अधिकार नहीं
मित्रों, आज़ादी सिर्फ अधिकार नहीं, एक जिम्मेदारी भी है। हमें एक जिम्मेदार नागरिक बनकर देश को और बेहतर बनाना है। हमें मिलकर भ्रष्टाचार, असमानता, बेरोज़गारी और हिंसा जैसी समस्याओं से लड़ना होगा।
हमें एक ऐसा भारत बनाना है जहाँ हर बच्चा शिक्षा पाए, हर युवा को रोजगार मिले, हर महिला सुरक्षित महसूस करे और हर बुजुर्ग सम्मान के साथ जी सके।
इस स्वतंत्रता दिवस पर हम सभी संकल्प लें कि हम न सिर्फ अपने लिए, बल्कि अपने देश के लिए भी जिएंगे। हम देश को आगे बढ़ाने में अपना योगदान देंगे – चाहे वह छोटा हो या बड़ा।
आइए, हम सब मिलकर कहें:
वंदे मातरम्!
भारत माता की जय!
जय हिंद!
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