70वां वार्षिक शिबिर सह 75 वर्षीय हीरक जयंती
70वां छोटानागपुर डायसिस युवा आन्दोलन वार्षिक शिबिर सह 75 वर्षीय हीरक जयंती का जश्न बड़ी धूम धाम के साथ मनाया गया रांची के संत पौल्स हाई स्कूल ग्राउंड में। जिसमें छोटानागपुर डायसिस के 9 अलग अलग धर्मजिला के अलग अलग पेरिश से काफी संख्या में युवा और युवतियां उपस्थित हुए। शुरुआत में ऐसा नहीं लग रहा था कि भरी संख्या में बड़ी भीड़ के साथ युवाओं की मौजूदगी होगी, लेकिन देखते ही देखते युवाओं की भीड़ खचाखच बढ़ने लगी , लोग पहुचते गए आराम कक्ष मिलता गया।
युवा अपनी समान को रखने के बाद इधर उधर टॉयलेट रूम वाशरूम की तलाश में जुट गए, टॉयलेट रूम वशरूम का पता लगाने के लिए एक दुसरे से आपस में पूछने लगता है तो किसी से सही जानकारी नहीं मिल पता है,कोई वोलेंटियार से पता लगाने कि कोशिश करता है तो कोई दीवाल पर दिया हुआ डायरेक्शन के आधार पर वाशरूम का पता लगाने लगता है लेकिन फिर भी वाशरूम का अता-पता ही नहीं लगता, काफी समय के बाद वाशरूम मिल ही गया, जब वाशरूम मिल गया तो वहां पर पानी ही नहीं, युवा काफी परेशान।
पानी की समस्या को देखकर युवाओं के चेहरा में बारह बजने जा राहा था .क्योंकि बहुत सारे युवा एक दिन पहले ही घर से निकला हुआ था, स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार करते करते सुबह भी हो गया, रात भर झपकी मरते मरते ट्रेन का इंतजार किया युवाओं ने, ट्रेन आई युवाओं ने ट्रेन पर चढ़ गए,कोई तो मुस्कराते हुए से ट्रेन पर चढ़ रहा है कोई तो चेहरे पर बारह बजाते हुए ट्रेन पर चढ़ रहा है ऐसा इसलिए क्योंकि नींद ने तो युवाओं पर तबाही मचा रखा था।
ट्रेन पर चढ़ने के बाद युवा सीट की तलाश करने लगे, सीट तलाशते तलाशते एक दुसरे से मुलाकात भी हो रहे हैं युवाओं का चेहरा ख़ुशी में बदलते जा रहा था .कोई बिस्किट निकल रहा है तो कोई पुरी निकल रहा है तो कोई हलुवा निकल रहा है सारे लोग आपस में मिल बंट कर खाने लगा,आपस में बातचित करते करते गीत गाते हुए ट्रेन का सफ़र किया और अपनी गंतव्य जगह पर पहुचे युवा . इस प्रकार से हुआ ट्रेन का सफ़र।
लेकिन पहुचने के बाद सभी युवा जगह की पहचान करने लगे कि वाशरूम कहां टॉयलेट रूम कहां पानी कहां रहने का जगह कहां,युवा परेशान हो रहे थे डायरेक्शन के सहारे जाता है तो मिलता है टॉयलेट रूम ताला बंद, युवतियां मुह छुपा कर हँसते हुए वापस लौट जाता है, वोलेंटियार से पता लगाया गया तब पता चला कि अच्छा वाला वाशरूम टॉयलेट रूम और रहने का जगह कॉलेज और स्कूल कंपाउंड में मिलेगा, ये सुनकर युवाओं में मिली रहत।
जुबली उत्सव का शोभा यात्रा
थोड़ी देर हुआ, रजिस्ट्रेशन हुआ और सबको रूम मिलना शुरू हो गया भाइयों को मिला संत पौल्स कॉलेज में और बहनों को मिला संत मार्गरेट हाई स्कूल में,रजिस्ट्रेशन के बाद बड़ी भव्य तरीके से हुआ शोभा यात्रा , युवा अपने पेरिश का झंडा हाथ में लेकर लाइन में खड़े होकर धीरे धीरे एक दुसरे को देखते हुए मुस्कराते हुए आगे बढ़ रहे थे, सबसे आगे महामान्यवर, मान्यवर, डायसिस संडे स्कूल,डायसिस WFCS,और सेंट्रल DCYM के सभापति, उपसभापति,पूर्व केंद्रीय DCYM व अन्य सभी, उसके पीछे DCYM के सभी युवा और युवतियां अपने पेरिश के साथ झंडा लहराते हुए आगे बढ़ रहे थे। बहुत ही सुन्दर तरीके से नाचते हुए गाते हुए झूमते हुए सभी का स्वागत करते हुए सभी को सीट प्रदान किया।
ख़ुशी का लहर
उसके तुरंत बाद हुई प्रारंभिक आराधना, आराधना के बाद हुई स्वागत गीत उसके बाद ईश वंदना,दीप प्रज्वलन,उसके बाद हुई स्मारिका का विमोचन . स्मारिका विमोचन के बाद उद्घाटन सन्देश बताया गया मान्यवर सिकंदर नाग के द्वारा, फिर उसके बाद हुई रांची पेरिश के द्वारा (FLASH MOB) जबरदस्त डांस, शिविर वासियों को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है, रांची पेरिश के सभी युवा अपने स्थान से उठ कर भागे दौड़े सीधे मंच की ओर और जैसे ही मंच पहुंचा वैसा ही नॉन स्टॉप डांस जबरदस्त तरीके से किया।
शिबिर वासी हैरान हो गए देखने वाले देखते रह गए,आनंद करने वाले आनंद करते रहे, युवाओं के मन में ख़ुशी का लहर उछलने लगा, बैठे हुए शिबिर वासी भी झुमने लगे। डांस देखकर सभी शिबिर वासियों का दिल भी गडेन गडेन हो गया, इस प्रकार से शुरुआत दिन में शिबिर वासियों के दिल में हीलियम गैस की तरह खुशियाँ भरने लगा, ताकि युवाओं का ख़ुशी अंत तक बना रहे, क्योंकि कहा जाता है शुरुआत आछा रहा तो अंतिम भी अच्छा रहेगा, फिर उसके बाद बिशप ओनील कुमार तिर्की द्वारा DCYM के बारे में कुछ सन्देश दिया।
लेखा सचिव का चुनाव
इसके तत्पश्चात चार लेखा सचिव का चुनाव करना था जिसके लिए सभी पेरिश से एक युवा और एक युवती को अपनी परिचय के लिए मंच पर बुलाया गया ताकि शिबिर वासी उनके नाम को जान सके और सही लेखा सचिव का चुनाव कर सके,युवाओं ने काफी सुन्दर तरीके से अपना परिचय दे रहे थे कोई छोटा परिचय दे रहे थे तो लॉन्ग परिचय दे थे तो कोई अपना परिचय लाजवाब तरीके से दे रहा था।
जिसके पास जैसा कला है वैसा अपना परिचय दे रहा था, परिचय सुनने में भी बड़ी दिलचस्पी लग रहा था। परिचय सुन कर लोगों का मन को भी मोह लिया और चार लेखा सचिव चुना गया जिसमें दो लड़का और दो लड़की यही चार लेखा सचिव लोग सारा दिन का प्रोग्राम का रिकॉर्ड करने लगा .ताकि आने वाले कल में इसका गवाह बन सके।
पहला दिन का भोजन
DCYM का पहला दिन जब खाना खाने के लिए अनुमति मिला तो सभी लोग भागे दौड़े लाइन में खड़ा हो गया बरी बरी से खाना लेने लगा, हाथ धोने के लिए खोज किया पानी, लेकिन बहुत सारे युवाओं को कहीं नजर ही नहीं आया पानी,कुछ युवा ऐसे भी मिले जिन्होंने बिना हाथ धोए खाना खाया, लाइन में खड़े हुए कुछ बहनों से भी पूछा गया कि आप लोग हाथ धो लिए हैं ? तब उन लोगों ने जवाब देने के वजय मुहं छुपा कर शरमाते हुए हंसने लगे,क्योंकि हाथ धोया नहीं था।
जिसके पास पानी का बोतल था उन्होंने हाथ धो कर खाना खाया और जिसके पास नहीं था उन्होंने तो वैसा ही खा लिया। शुरुआत का दिन था इसलिए युवाओं को समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि जगह की पहचान भी नहीं हो पाया था,हाँ सारा व्यवस्था सही था खाने पीने में कोई दिक्कत ही नहीं था प्रोग्राम से लेकर खाने पीने तक समय पर ही हो रहा था शुरुआत में कहीं पर भी थोड़ा सा दिक्कत परेशानियों का सामना तो करना ही पड़ता है, सारे शिबिरवासी खाना पीना करके रात्रि के बिश्राम के लिए चले गए अपने अपने मिला हुआ स्थान पर, इस प्रकार से पहला दिन हुआ।
मेरी सलाह
साथियों मैं माफ़ी चाहता हूँ लिखने में अगर कहीं पर गलत हो गया होगा तो सुधर कर पढ़ लेना।
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