सफलता की कुंजी

Best Powerful Success Story In Hindi


आइए हमलोग जानते हैं की सफलता की कुंजी क्या  है?  सफलता का राज्य क्या है? सफलता का रहस्य क्या है?  कैसे लोग सफल होते हैं और कैसे लोग सफल नहीं हो पाते हैं ?और जीवन में कौन ऐसा व्यक्ति है जो की वो सफल होना नहीं चाहता, चाहते तो सब कोई है पर हो नहीं पाता। तो आइए आगे देखते हैं -

जीवन में कितने ऐसे लोगों  के पास सपना होता है 100% में से 10-15% लोगों का सपना  होता है बाकि ऐसा ही  काम करता है  बिना मकसद का। जीवन में मकसद का होना बहुत जरुरी है. जब तक मकसद नहीं होगा  तब तक जीवन  में सफलता हासिल करना इतना भी आसान नहीं  होगा। स्कूल या तो कॉलेज  के विद्यार्थी के पास भी लक्ष्य  नहीं  होता हैं बिना मकसद को लेके पढ़ाई करते हैं , पढ़ाई करके आगे किस फिल्ड  काम  करना है, क्या जॉब  करना है क्या बिजनेस करना है इसका पता नहीं, ऐसा  करने से समय केवल बर्बाद होता है।   किसी बिद्यार्थी से भी पूछा जाए, की आप क्यों पढ़ाई  कर रहे हो? पढ़ाई करके आगे क्या करोगे ? आपका क्या लक्ष्य है? क्या टारगेट है आगे का,पूछा जाए  तो  जवाब दें नहीं पाएगा। कामयाबी को हासिल करने के लिए  सबसे पहले लक्ष्य का होना बहुत जरुरी है। चाहे जॉब हो  या  बिजनेस  लक्ष्य तो चाहिए ही भाई। पढ़ाई  से  पहले लक्ष्य होना चाहिए , लक्ष्य बना कर के ही पढ़ाई करना चाहिए।  

जैसे की चौक चावराहे में खड़े एक ट्राफिक पुलिस से किसी ने सड़क की ओर इशारा करते हुए पूछा भाई साहब ये रास्ता कहाँ को जाता  है ? तब ट्राफिक पुलिस ने पूछा आपको कहाँ जाना है ? तब सजन ने जवाब देता है "ये तो मुझे मालूम नहीं " फिर पुलिस वाले ने कहा आपको मंजिल का पता नहीं है,कहाँ जाना है इसका पता नहीं है ? फिर आप पुछ रहे हो की ये रास्ता कहाँ को जाता है ? आपको जब मालूम नही नहीं है तो  कोई सा भी रास्ता में चले जाओ क्या फर्क पड़ेगा ? 

इसिलिए दोस्त सबसे पहले तय करें की आपको कहाँ जाना है , आपका मकसद क्या है ,लक्ष्य क्या है ,टारगेट क्या है  सबसे पहले मालूम होना चाहिए .


रास्ते में चार प्रकार के लोग मिलेंगे 

1. पैदल व रिक्सा में चलने वाले
2. मोटरसाइकिल में चलने वाले 
3. चार से पांच लाख की गाड़ी में सफर करने वाले 
4. बीएमडब्ल्यू,टाटा हरियर या लक्जरी और मार्क्सिटिज जैसी महंगी गाड़ियों में सफर करने वाले हैं।

अब इन चार प्रकार के लोगों में क्या फर्क है जो की पैदल चलने वाला पैदल में ही अपना जिंदगी गुजार लेता है रेक्सा वाला अपना रेक्सा में ही अपना जिन्दगी गुजार लेता है और मोटर साइकिल वाला अपना मोटर साइकिल में ही जिंदगी गुजार लेता है । क्या पैदल चलने वाला व्यक्ति कभी नहीं सोचता है कि मेरे पास भी एक अच्छा सा मोटरसाइकिल हो कार हो,और एक मोटरसाइकिल वाला भी नहीं चाहता है की मेरे पास भी एक अच्छा सा कार हो ,क्या चार से पांच लाख की गाड़ी में सफर करने वाला भी नहीं चाहता की मेरे पास भी टाटा हरियर हो महंगी गाड़ी हो। चाहते तो सब कोई हैं, संसार में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो की नहीं चाहते,चाहते तो हैं सब कोई पर बदलाव नहीं कर पाते , इसका बस एक ही कारण है जो बदलाव नहीं कर पाने का और वो है सफलता का सूत्र मालूम नहीं है।

इसी लिए अपनी जिंदगी उसी में गुजर लेती है।

      सफलता का सूत्र 👇

  1. सही काम ➡उत्तोलक आय
  2. सही समय➡ शुरुआती दौर
  3. सही दिशा ➡ शिक्षा 
  4. सही ऊर्जा ➡ टीम वर्क 

1. इनकम दो प्रकार के होते हैं

लीनियर इनकम:- जो व्यक्ति अपना समय को दूसरों के यहां  बेचकर पैसा कमाता है उसे लीनियर इनकम कहते हैं।


उत्तोलक आय (Leverage Income) क्या है?
 एक ऐसा काम जिस काम को कम समय में और कम पैसा लगाकर या तो कम प्रयास में अधिक लाभ कमाया जाना या तो काम समय में अधिक लाभ कमाना ही लीवरेज इनकम कहलाता है। व्यवसाय का उदेस्य ही होता है लाभ कमाना ।
 साधारण भाषा में कहें तो जिस व्यक्ति ने दूसरों का समय को खरीदता है वही कमाता है।   
 
 जिस व्यक्ति ने भी लीवरेज इनकम की कॉन्सेप्ट को समझ लिया वो कभी भी पीछे की ओर मुड़ के नहीं नहीं देखेगा वो हमेशा आगे की ओर ही बढ़ता चलेगा, भले ही उस काम को करने में समय लगेगा लेकिन फिर भी उतना समय भी नहीं लगेगा जितना की नौकरी में समय देना होता है। नौकरी में  उम्र गुजर भी जाएगा तौभी अनलिमिटेड पैसा कमाया नहीं जा सकता । नौकरी करने वाला लीवरेज इनकम कमा नहीं सकता है। लेकिन नौकरी देने वाला लीवरेज इनकम कमाता है। 

 जैसे कुछ  उदाहरण बताना चाहूंगा जिसमें की आप लीवरेज इनकम कर सकते हैं। :-

भारत में लीवरेज इनकम कमाने की कुछ सूची
  1. लाभांश- उपज स्टॉक  devident-yield stock
  2. ब्लॉगिंग और यूट्यूब। Blogging & YouTube
  3. सोशल मीडिया प्रभावित करना SM.Influencing
  4. ऑनलाइन शिक्षण  Online Teaching 
  5. फोटोग्राफी और स्टॉक फोटो बेच कर
  6. रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (RIIT) में निवेश करके 
  7. डिजिटल उत्पाद बनाकर बेचना  

डिजिटल जमाने के कुछ यूट्यूबर 
  1.  कैरी मिनाटी
  2. टोटल गेमिंग
  3. आशीष चंचलानी वीनस
  4. टेक्नो गैमर्ज
  5. राउंड 2 हेल
  6. मिस्टर इंडियन हैकर
  7. बीबी की वीनस 
  8. अमित भदाना
 ये लोग ऐसा व्यक्ति है जो की सही काम को सही समय  किया और अपना नाम कमाया और कमा रहा है।

                 
परिभाषा ፦सोलमन एकरा के अनुसार, लीवरेज अंशधारियों  की अंश पूंजी की प्रत्यय दर तथा कम्पनी की समस्त पूंजी की प्रत्यय की दर का अनुपात है।

प्रोफेसर कुच्छल के अनुसार, उत्तोलक का अभिप्राय वित्त प्रबन्धन में स्थायी लागत के सहन करने या स्थयी प्रत्याय का भुगतान करने से है।

2. सही समय➡ शुरुआती दौर፦  

   जैसा कि मनुष्यों को तीन स्टेप से गुजरना पड़ता है

वैसा ही समय का भी तीन दौर है 

शुरुआती दौर :- किसी भी काम को करने का सही समय होता है वो है शुरुआती दौर। 

शुरुआती दौर एक ऐसा दौर है जिसमें की लोगों को काम करने में कई सारा दिक्कत परेशानी का सामना करना पड़ता है। शुरुआती दौर में काम करना इतना भी आसान नहीं है जो की रातों रात में सफल हो जाओ, कितना पापड़ बेलना पड़ता है।
और जो व्यक्ति दिक्कत परेशानियों का सामना नहीं कर पाता है वो जीवन में कुछ अलग नहीं
कर पाता है । जिन्होंने भी जीवन में दिक्कत परेशानियों से लड़ के काम करता है, असफल होने पर भी कभी हार नहीं मानता है वही जीवन तरक्की करता है अपने जीवन में इतिहास रचता है और मिशाल बन के रहता है ।
भले ही सफल होने में जरूर देर लगेगी लेकिन कभी अंधेर नहीं होगी।
        इसीलिए हम गुजारिश करना चाहूंगा कि आप जिस भी फील्ड में काम कर रहे हो हिम्मत के साथ काम करना बेशर्म होके काम करना ।जल्द सफल न होने पर लोग हसेंगे , हंसने वाले को हंसने दीजिए, बुराई करने वाले को करने दीजिए,निंदा करने वाले को करने दीजिए, शिकायत करने वाले को करने दीजिए,  टेंशन मत लो आपको कहावत तो याद होगा ही की हाथी चले बाजार कुत्ता भूके हजार। 
        हाथी का विजन क्लियर  है की कुत्ता सामने से कभी नहीं भुकेगा , भूकेगा तो दूर से ही अगर कुत्ता सामने आ जाएगा तो जरूर रोटी बन जायेगा।  वैसा ही आपका भी विजन क्लियर होना चाहिए ।

कुछ ऐसे लोगों का नाम बताना चाहूंगा जिन्होंने शुरुआती दौर में काम किया

टाटा कम्पनी

जमशेदजी टाटा का जन्म -3 मार्च 1839 नवसारी में हुआ और उसकी मृत्यु  19 मई 1904 को बैड नौहाईम, जर्मनी में हुआ, और उसका नाती या पोता था नवल टाटा, दादा या नाना था क्वासजी मैनेक्जी टाटा , और उनके परपोते या परनाती थे रतन नवल टाटा , नोएल टाटा , जिमी नवल टाटा और बच्चे रतनजी टाटा , दोराबजी टाटा था ।


टाटा कम्पनी की स्थापना सन 1868 में जमशेदजी टाटा ने किया था टाटा कंपनी की शुरुवात रुई बनाने की फैक्टरी से किया था।
आपने टाटा कम्पनी का नाम तो सुना ही होगा आज पूरे विश्व प्रसिद्ध है, क्या लगता है टाटा कंपनी शुरुआत में प्रसिद्ध था होगा,नहीं।काम करना आसान था होगा उसके लिए,नही। जब पहली प्रोडक्ट को बनाया था तो लोगों ने लेने के लिए तैयार था, नहीं।
टाटा कम्पनी ने पहली बार डीजल से चलने वाली ट्रक को बनाया और बनाने के बाद लोगों को जानकारियां देने लगा, हरेक लोगों को ट्रक के फ्यूचर के बारे में बताया लोगों को समझ में नहीं आता था कोई बिस्वास नहीं करता था । काफी परेशान होता था। कोई कहता है ये तो डीजल से चलने वाला ट्रक है अगर ये ट्रक को खरीदते हैं और बीच रास्ते में तेल खतम हो जाएगा तो क्या करेंगे, हमारे यहां तो कोई डीजल नहीं मिलता है
तब टाटा कंपनी ने एक ही जवाब देता है कहीं पे अगर तेल की समस्या हो,तेल खतम होने पर हमसे संपर्क 
 
लेकिन शुरुआत में किसी को भी टाटा कंपनी पर विश्वास नहीं था,बस टाटा को खुद के ऊपर और अपने प्रोडकरो हमारा आदमी फौरन ही आपके यहां तक तेल पहुंचा दिया जाएगा । ऐसा समझा समझा कर लोगों का दिल को जीत लिया और एक  कंपनी के मलिक ने कहा आपकी ट्रक को जरूर  खरीदेंगे लेकिन पैसा अभी नहीं देंगे जब अच्छा लगेगा पसंद आयेगा तब देंगे अन्यथा नहीं देंगे,फिर उसने लिया  और कुछ दिन चलाया  पसंद आया अच्छा लगने लगा और बाद में जाके पैसा पेमेंट किया । और वहीं से उस ट्रक के बारे में चर्चा होने लगा  और लोग भी जानने लगे इसके बारे में फिर और दूसरा व्यक्ति ने लिया फिर चला कर के देखता है तो बोलता है ये तो वाकए में कोयला इंजन वाला से तो बहुत अच्छा है कहने लगा , ऐसा करते करते बहुत सारे लोग लेने लगा और आज कौन नहीं जानता है डीजल इंजन के बारे आज टाटा कोई टाइटल नहीं ब्रांड बन गया है । जिसमें भी टाटा लिखा हुआ दिखेगा लोग आंख बंद करके लेने के लिए तैयार होता है आज टाटा में लोगों का 100% विश्वास है। अगर घटिया समान पर भी टाटा का ब्रांड होगा तो भी लोग हंसते मुस्कुराते ले लेंगे कोई ज्यादा सवाल जवाब नहीं होगा ।क्ट के ऊपर विश्वास था।
जिसने किया था आविष्कार उसी को पता था उसका फ्यूचर
 जिसने शुरुआती दौर को समझ जाता है वही करता है आने वाला दिन में राज ।  और आज टाटा कंपनी का कई सारा ग्रुप भी है जिसे टाटा ग्रुप के नाम से भी जाना जाता है और उसका मालिक आज रतन टाटा है।

कसी दिन डीजल से चलने वाले ट्रक भी फेमस हो गया था  और फेमस  होने में काफी समय लगा था लेकिन आज वही ट्रक  वर्ल्ड में इतना प्रसिद्ध गया  साथ ही साथ आज वही ट्रक को पाने के लिए  सोचना पड़  रहा है। क्योंकि आज वो  ट्रक  शुरूआती नहीं प्रसिद्धि नहीं  आज कम्पटीशन का समय आ गया है पहले में  बुक करना पड़ता है उसके बाद ही प्रोडक्ट आपको मिल पता है।और आज  ट्रक को  कई सारा कंपनी निर्मित करता है।आज कम्पटीशन की वजह से मार्केट में  तरह तरह का प्रोडक्ट देखने को मिल रहा है।   

कंप्यूटर Computer

कम्प्यूटर (Computer) का नाम तो आपने सुना ही होगा,आज अगर बोला जाए तो पूरे विश्व के हर एक जगह में हर ऑफिस में दुकानों में घर घर में इतना ही नहीं हर एक व्यक्ति के जेब में कंप्यूटर देखने को मिलेगा ।

 सबसे पहले कंप्यूटर की इतिहास को जानेंगे, 









इस प्रकार से कंप्यूटर का जन्म हुआ अब देखते है वही कंप्यूटर भारत देश में कब जन्म हुआ और कितना परेशानियों का सामना करना पड़ा शुरुआत में।

भारत देश में कंप्यूटर का जन्म

चार्ल्स बैबेज के द्वारा सन 1970 की दशक में भारत लाया गया और 1978 सेमिनार दिया गया फिर 1980 की दशक में भारत में शुरू हुआ ।
और चार्ल्स बैबेज को कंप्यूटर का जन्म दाता भी कहा जाता है।

बैबेज की परेशानी

आपको क्या लगता है जब चार्ल्स बैबेज ने पहली बार भारत में कंप्यूटर को लाया था उस समय कितने लोग जानते थे कंप्यूटर को, कितना लोग विश्वास किया कि कंप्यूटर लोगों के लिए बहुत फायदा होगा, लोगों का काम को आसान बनाएगा।कोई ऐसा लोग होगा जो की विश्वास किया, किसी ने भी विश्वास नहीं किया । चार्ल्स बैबेज़ ने कंप्यूटर को लेकर जगह जगह पर कैंप रख कर कंप्यूटर के बारे में जानकारी दिया करता था लोगों को समझाया करता था की आने वाले समय में बहुत ही जरूरत का चीज होगा आप्लोग इसे खरीद सकते हैं।लोगों का फायदे के लिए बनाया गया है। यह एक ऐसा मशीन है जो की हजारों का काम को एक ही मशीन कर के देगा, वो भी घंटों का काम को सेकंड में कर के देगा । लोगों को इस बात को लेकर बड़ी खराब लगता था अगर एक ही मशीन हजारों का काम को करेगा तो हमलोग क्या करेंगे हमलोग तो सब बेरोजगार हो जायेंगे, यही सोच कर के लोगों ने लेने से मना करते थे इनकार करते थे ।
शुरुआती दौर में कई सारा परेशानियों का सामना करना पड़ा बैबेज को लेकिन उसको पता था की एक दिन जरूर हमारा प्रोडक्ट बिकेगा उसका विजन क्लियर था की फ्यूचर में बहुत काम का चीज माना जाएगा । जिसने भी आविष्कार करता है उसी को पता होता है उसका फ्यूचर । बैबेज को नौ साल का लगा समय लगा अपनी प्रोडक्ट के बारे में लोगों को विश्वास दिलाने में , नौ साल के बाद दसवीं साल में जाके सफलता को हासिल किया , इतना संघर्ष करने के बाद जीवन में खुशियां आई।आप इसी के जगह में होते तो आप क्या करते, हर मन जाते या ठान के काम करते,  क्योंकि भाई आपने तो सुना ही होगा मन लिया तो हर होगा ठान लिया तो जीत होगा ।
आज अगर बोला जाए तो गिनीज वर्ल्ड बुक में अपना नाम को अंकित कर चुका है। आज सब जानता है की कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया था तो जवाब आता है चार्ल्स बैबेज का । इसीलिए दोस्त आप भी जिस मैदान में कदम रख चुके हो संघर्ष की मैदान को छोड़ कर मत भगो नींद चैन को त्यागो  क्योंकि कोशिश करने वाले कभी हारते नहीं कोशिश करने वाले ही जीतते हैं। सफलता एक दिन में नहीं मिलती लेकिन एक दिन सफलता जरूर मिलेगी।

कोपरनिकस(वैज्ञानिक)

अपने कोपरनिकस का नाम तो सुना ही होगा, कोपरनिकस का पूरा नाम था निकोलस कोपरनिकस, पोलैंड में जन्में निकोलस कोपरनिकस पोलिश खगोलशास्त्री व गणितज्ञ थे। उन्होंने यह क्रांतिकारी सूत्र दिया था की पृथ्वी अंतरिक्ष के केंद्र में नहीं है।


सूर्य के चारों ओर पृथ्वी परिक्रमा करती है इस बात को लेके कोपरनिकस ने आयोजन में लोगों से जवाब चाहता है और लोगों से सवाल करता है। 

भाई साहब आपलोग बताइए कि हमलोग कहां पे रहते हैं?
तब लोगों ने जवाब दिया सब तो आपने आपने घर में रहते है
कोपरनिकस ने कहा चलो ठीक है सब अपना अपना घर में रहते हैं, तो अब ये बताओ घर कहां बनता है?
लोगों ने जवाब दिया  धरती में।
कोपरनिकस ने फिर पूछा धरती क्या है?
फिर से लोगों ने जवाब दिया  पृथ्वी ही तो है।
कोपरनिकस फिर से पूछा अच्छा बताओ सूरज किधर से निकलता है?
सबने जवाब दिया पूरब से निकलता है।
कोपरनिकस बोलता है डूबता किधर  है?
तब लोगों का जवाब आता है पश्चिम में।
कोपरनिकस कहता है चलो यहां तक सही है, अब ये बताओ पश्चिम से पूरब कैसे आता है?
लोगों ने जवाब दिया रात को जमीन के अंदर अंदर घुस जाता है फिर सुबह को पूरब से निकलता है।

लोगों का जवाब सुनने के बाद कोपरनिकस मन ही मन हंसने लगा और थोड़ी देर बाद समझाने लगा। सूरज के चारों ओर पृथ्वी परिक्रमा करता है जिसके कारण दिन और रात होता है , सूर्य परिक्रमा नहीं करता है।

ये बात को सुनकर लोगों ने कोपरनिकस को सवाल कर डालता है, अच्छा सर ये बताइए सूरज के चारों ओर पृथ्वी घूमता है तो फिर हमलोग क्यों नहीं घूमते हैं। घूमना चाहिए न हमलोग को भी, इसका मतलब आप बिल्कुल झूठ बोल रहे हैं, सरासर जीत बोल रहे हैं हमलोग कभी मन नहीं सकते हैं।

कोपरनिकस ने सच्चाई की बात को कितना समझने का प्रयास किया पर किसी ने भी उसकी बात को नहीं समझा सब ने उसको झूठा साबित किया  और मौत के घाट भी उतार दिया।

कुछ दिनों के बाद दूसरा वैज्ञानिक आता है फिर उसने भी लोगों को वही जवाब देता है सूर्य के चारों ओर पृथ्वी परिक्रमा करता है, सूर्य परिक्रमा नहीं करता है।कोपरनिकस आपलोग को जानकारी दे रहा था वो बिल्कुल सच था पर अपलोगो ने विश्वास नहीं किया आज हम भी तो वही जानकारी दे रहे हैं ।

इसकी बात  को सुनने बाद लोगों को विश्वास होने लगा और अपनी गलती का एहसास करने लगा कि हमलोग क्यों मारे कोपरनिकास को बहुत गलत काम किए हैं हमलोग, जबकि सच्चाई को बता रहा था पर हमलोग झूठा साबित किए ऐसा नहीं करना चाहिए था। सॉरी कोपरनिकस  माफ कर देना हमलोग को, गलती हो गई हमलोग से अनजाने में।।

कोई भी चीज का शुरुआती दौर बहुत ही कठिन होता है ।आसान नहीं होता है । कोपरनिकस को जिंदा जिंदा घाट उतार दिया फिर मरने के बाद माफी मांगता है । पहले निंदा करेगा शिकायत करेगा बुराई करेगा मरेगा गड़ेगा ,फिर मरने के बाद आपका तारीफ करेगा अच्छा आदमी था बोलेगा ।


Jesus Christ

आपने जीसस क्राइस्ट का नाम तो सुना ही होगा कौन है वो जीसस क्राइस्ट, सबसे पहले जन लेते हैं जन्म कथा।

ईसाई धर्म को क्रिश्‍चियन धर्म भी कहते हैं। इस धर्म के संस्थापक प्रभु यीशु मसीह है। यीशु मसीह को पहले से चले आ रहे प्रॉफेट की परंपरा का एक प्रॉफेट माना जाता हैं। इब्रानी में उन्हें येशु, यीशु या येशुआ कहते थे परंतु अंग्रेजी उच्चारण में यह जेशुआ हो गया। यही जेशुआ बिगड़कर जीसस हो गया।
 
यीशु मसीह के जन्म के संबंध में मतभेद है। इस संबंध में हमें चार सिद्धांत मिलते हैं। पहला 'ल्यूक एक्ट' के अनुसार उनका परिवार नाजरथ गांव में रहता था। उनके माता पिता नाजरथ से जब बेथलहेम पहुंचे तो वहां एक जगह पर उनका जन्म हुआ। कहते हैं जब यीशु का जन्म हुआ तब मरियम कुंआरी थीं। मरियम योसेफ नामक बढ़ई की धर्म पत्नी थीं। जिस वक्त ईसा मसीह का जन्म हुआ उस वक्त परियों वहां आकर उन्हें मसीहा कहा और ग्वालों का एक दल उनकी प्रार्थना करने पहुंचा। 
 
यह भी कहा जाता है कि मरियम को यीशु के जन्म के पहले एक दिन स्वर्गदूत गाब्रिएल ने दर्शन देकर कहा था कि धन्य हैं आप स्त्रियों में, क्योंकि आप ईश्‍वर पुत्र की माता बनने के लिए चुनी गई हैं। यह सुनकर मां मरियम चकित रह गई थीं। कहते हैं कि इसके बाद सम्राट ऑगस्टस के आदेश से राज्य में जनगणना प्रारंभ हुई जो सभी लोग येरुशलम में अपना नाम दर्ज कराने जा रहे थे। यीशु के माता पिता भी नाजरथ से वहां जा रहे थे परंतु बीच बेथलेहम में ही माता मरियम ने एक बालक को जन्म दिया।
 
एक दूसरे सिद्धांत के अनुसार अर्थात 'मैथ्यू एक्ट' के अनुसार यीशु का जन्म तो बेथलहम में हुआ था था परंतु वहां के राजा हिरोद ने बेथलहेम में दो साल से कम उम्र के सभी बच्चों को मारने का आदेश दे दिया दिया था, यह जानकर यीशु मसीह का परिवार वहां से मिस्र चला गया था। फिर वहां से कुछ समय बाद वे नजारथ में बस गए थे। 'गॉस्पेल ऑफ मार्क' और 'गॉस्पेल ऑफ जॉन' ने इनके जन्म स्थान का जिक्र नहीं किया है, लेकिन उनका संबंध नाजरथ से बताया है।
 
ईसाई धर्मपुस्तक के अनुसार माता मरियम गलीलिया प्रांत के नाजरथ गांव की रहने वाली थी और उनकी सगाई दाऊद के राजवंशी युसुफ नामक बढ़ई से हुई थी। कहते हैं कि विवाह के पूर्व ही वह परमेश्वर के प्रभाव से गर्भवती हो गई थीं। परमेश्वर के संकेत के चलते युसुफ या योसेफ ने उन्हें अपनी पत्नी स्वीकार कर लिया। विवाह के बाद युसुफ गलीलिया प्रांत छोड़कर यहूदी प्रांत के बेथलेहम नामक गांव में आकर रहने लगे और वहीं पर यीशु मसीह का जन्म हुआ। परंतु वहां के राजा हेरोद के अत्याचार से बचने के लिए वे मिस्र जाकर रहने लगे थे और बाद में जब ई.पूर्व. हेरोद का निधन हो गया तो वे पुन: बेथलेहम आए और वहां पर 6 ईसापूर्व यीशु मसीह का जन्म हुआ और फिर वे वहां से पुन: नाजरेथ में बस गए थे। जो भी हो यह तो सिद्ध होता ही है कि यीशु मसीह के माता पिता नाजरथ के रहने वाले थे और बेथलेहेम में यीशु का जन्म हुआ था। अब वे बेथलेहम क्यों गए थे यह रहस्य बना रहेगा।कि 

जब यीशु लगभग 12 वर्ष के हुए तो येरुशलम में उन्हें यहूदी पुजारियों से ज्ञान चर्चा करते हुए बताया गया है। यीशु मसीह खुद यहूदी ही थे। पुजारियों से चर्चा के बाद वे कहां चले गए यह कोई नहीं जानता। बाइबल में 13 से 29 वर्ष की उनकी उम्र का कोई जिक्र नहीं मिलता है। हालांकि यह भी कहा जाता है कि कुछ समय बाद यीशुु नेे यूसुफ का पेशा सीख लिया और लगभग 30 साल की उम्र तक नाजरथ में रहकर वे बढ़ई का काम करते रहे।
 
उनकी असल कहानी तब प्रारंभ होती है जबकि वे 30 वर्ष की उम्र में यहून्ना (जॉन) नामक संत से बाप्तिस्मा (दीक्षा) लेते हैं और फिर वे लोगों को उपदेश देना प्रारंभ कर देते हैं। उनके उपदेश यहूदी धर्म की मान्यताओं से भिन्न होते हैं और जब वे नबूवत का दावा करते हैं तो यहूदियों के कट्टरपंथियों में इसको 
लेकर रोष फैल जाता है। हालांकि जनता के बीच वे लोकप्रिय हो जाते हैं।
 
जनता यह मानने लगी थी कि यही है वो मसीहा जो हमें रोम साम्रज्य से मुक्ति दिलाएगा। उस वक्त यहूदी बहुल राज्य पर रोमन सम्राट् तिबेरियस का शासन था जिसने पिलातुस नामक एक गवर्नर नियुक्त कर रखा था जो राज्य की शासन व्यवस्था देखता था। यहूदी मानते थे कि हम राजनीतिक रूप से परतंत्र हैं और वे 4 शतब्दियों से इंतजार कर रहे थे ऐसे मसीहा का जो उन्हें इस गुलामी से मुक्त कराएगा। फिर जब सन् 27ई. में योहन बपतिस्ता यह संदेश लेकर बपतिस्मा देने लगे कि 'पछतावा करो, स्वर्ग का राज्य निकट है', तो यहूदियों में आशा की लहर दौड़ गई और वे उम्मीद करने लगे कि मसीह शीघ्र ही आने वाला है। ऐसे में येसु मसीह का सरल भाषश में उपदेश देना और लोगों की सहायदा करना यह संकेत दे गया कि ये ही मसीहा है। वे लोगों के बीच लोकप्रिय हो गए। उनकी लोकप्रियता से कट्टरपंथी यहूदियों के साथ ही रोमनों में भी चिंता की लहर दौड़ गई थी।
 
हालांकि यीशु मसीह कहते थे कि मैं मूसा के नियम तथा नबियों की शिक्षा रद्द करने नहीं, बल्कि पूरी करने आया हूं। यीशु मसीह यहूदियों के पर्व मनाने के लिए राजधानी येरुशलम के मंदिर में आया तो करते थे, किंतु वह यहूदी धर्म को अपूर्ण समझते थे। वह शास्त्रियों द्वारा प्रतिपादित जटिल कर्मकांड का विरोध करते थे और नैतिकता को ही धर्म का आधार मानकर उसी को अपेक्षाकृत अधिक महत्व देते थे।


            जनता उनकी शिक्षा और उनके द्वारा किए गए चमत्कार देखर मुग्ध हो गई और उन्होंने उन्हें नबी मान लिया। तब यीशु ने यह प्रकट किया कि मैं ही मसीहा हूं, ईश्‍वर का पुत्र हूं और स्वर्ग का राज्य स्थापित करने स्वर्ग से उतरा हूं।... ईसा मसीह ने अपने संदेश के प्रचार के लिए बारह शिष्यों को चुनकर उन्हें विशेष शिक्षण और अधिकार प्रदान किए। स्वर्ग के राज्य के इस संदेश के कारण यीशु  के प्रति यहूदी नेताओं में विरोध उत्पन्न हुआ। वे समझने लगे थे कि यीशु स्वर्ग का जो राज्य स्थापित करना चाहते हैं वह एक नया धर्म है जो यरुशलम के मंदिर से कोई संबंध नहीं रखता। वे इसे यहुदी धर्म की मान्यताओं के खिलाफ मानने लगे।
 
ये 12 शिष्य थे- पीटर, एंड्रयू, जेम्स (जबेदी का बेटा), जॉन, फिलिप, बर्थोलोमियू, मैथ्यू, थॉमस, जेम्स (अल्फाइयूज का बेटा), संत जुदास, साइमन द जिलोट, मत्तिय्याह।
 
फिर यीशु एक दिन एक 29 ई. में गधी पर सवार होकर यरुशलम पहुंचे। वहां उन्होंने अपने सभी शिष्यों के साथ अंतिम भोज किया और वहीं यीशु मसीह ने संकेतों में समझाया कि उनके साथ क्या होने वाला है। वहीं उन्हें दंडित करने के षड़यंत्र रचा गया। कहते हैं कि उनके एक शिष्य जुदास ने उनके साथ विश्‍वासघात किया, जिसके चलते उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और फिर यहूदियों की महासभा में उनको इसलिए प्राणदंड का आदेश दिया गया क्योंकि वे ईश्वर का पुत्र होने का दावा करते थे। रोमन साम्राज्य के गवर्नर पिलातुस ने दबाववश यहूदियों के इस आदेश को मान लिया और राज्य में किसी प्रकार का कोई विद्रोह ना भड़के इसके लिए उन्होंने ईसा को क्रूस पर लटाकाने का आदेश दे दिया।
 
यीशु मसीह को क्रूस पर लटकाने के लिए पहले उन्हें कांटों का ताज पहनाया गया। फिर उन्हें भारीभरकम क्रूस उठाने को कहा गया। यीशु  उस क्रूस को उडाकर वहां तक चले जहां पर उन्हें क्रूस पर लटका दिया गया। 
यीशु मसीह जिस जगह पर सूली चढ़ाया गया था उस स्थान को गोलगोथा नाम से जाना जाता है। यह जगह इसराइल की राजधानी यरुशलम में ईसाई क्षेत्र में है। इसे ही हिल ऑफ़ द केलवेरी कहा जाता है। इस स्थान पर चर्च ऑफ फ्लेजिलेशन है। होली स्कल्प्चर से चर्च ऑफ फ्लेजिलेशन तक के मार्ग को दुख या पीड़ा का मार्ग माना जाता है। यात्रा के दौरान 9 ऐतिहासिक और पवि‍त्र स्थल हैं। चर्च ऑफ फ्लेजिलेशन को वह स्थान माना जाता है, जहां सार्वजनिक रूप से यीशु की निंदा हुई और उन्हें गोलगोथा की पहाड़ी पर क्रॉस पर चढ़ा दिया गया।
 
प्रभु यीशु पर 3 आरोप लगे थे। सबसे बड़ा आरोप यह था था कि वह खुद को मसीहा और ईश्वर का पुत्र कहते थे। यहूदियों के धर्मगुरुओं को यह अच्‍छा नहीं लगा और उन्होंने इसकी शिकायत रोमन गवर्नर पिलातुस से की। पिलातुस को यीशु में कोई खोट नहीं नजर आई। तब भी रोमी टुकड़ी के सिपाहियों और उनके सूबेदारों तथा यहूदियों के मन्दिर के पहरेदारों ने यीशु को बंदी बना लिया। वे उसे लेकर अंत में पिलातुस के पास लाए।
 
यहूदियों के दबाव के चलते पिलातुस ने यीशु को कोड़े लगवाए। सिपाहियों कंटीली टहनियों को मोड़ कर एक मुकुट बनाया और उसके सिर पर रख दिया। फिर उन्हें एक बड़ा सा क्रूस दिया गया जिसे लेकर उन्हें उस स्थान पर जाना था जहां सूली दी जाती है। इसे गुलगुता (खोपड़ी का स्थान) कहा जाता था। संपूर्ण रास्ते में उन्हें कोड़े मारे गए और अंत में वे वहां पहुंचे और सभी के सामने दो लोगों के साथ शुक्रवार को सूली पर लटका दिया। यीशु के क्रूस के पास उसकी मां, मौसी क्लोपास की पत्नी मरियम, और मरियम मगदलिनी खड़ी थी।
 
यीशु मसीह को सूली पर से उतारने के बाद उनका एक अनुयायी शव को ले गया और उसने शव को एक गुफा में रख दिया गया था। उस गुफा के आगे एक पत्थर लगा दिया गया था। वह गुफा और पत्थर आज भी मौजूद है। इसे खाली कब्र कहा जाता है। बाद में उनके शव को विधिवत रूप से दूसरी ओर दफनाया गया।

तो दोस्तों आपको येसु मसीह का कुछ हल्की जानकारी मिली होगी, तो आप सोच सकते है जब येसु मसीह लोगों के सामने आश्चर्य कर्म को दिखाते थे लंगड़ों को पैर देते थे लुल्हे को हाथ, अंधे को आंख बहिरे को का कान देता था इस प्रकार का आश्चर्य कर्म थे तो लोगों का पेट में दर्द होता था। कोई नहीं चाहता था की येसु मसीह को राजा कहे।अगर येसु मसीह को राजा राजा कहेंगे तो हमारा कोई वैल्यू नहीं होगा।और लोगों ने उसे मरने उपाय ढूंढने लगा। दोषी ठहराया गया निंदा शिकायत आलोचना बुराई उनकी इज्जत के साथ खेला गया।और सूली पे चढ़ा दिया, और ऐसा करने वाला कौन था वो भी आप और हम जैसे लोग ही थे।
 
तो दोस्त आप समझ सकते हो जब येसु मसीह तक को लोगों ने नहीं छोड़ा जिंदा जिंदा सूली पे चढ़ा दिया, आप और हम तो सामान्य इंसान हैं तो क्या लगता लोग छोड़ देगा, बिलकुल नहीं।

Wright Brothers (हवाई जहाज)


अब बात करते हैं हवाई जहाज की, आप सभी ने देखा होगा,बैठे भी होंगे । हवाई जहाज का अविष्कार किसने किया था ? हवाई जहाज का अविष्कार दो पागल भाई ने मिलकर बनाया था और वो दोनों भाई का नाम था ऑरविल राइट और विलबार राइट था। 

और उसके पिता का नाम था मिल्टन राइट जो की चर्च में काम करते थे।


 
और इन दोनों की व्यवसाय था प्रकाशन करना, बाइसिकल निर्माता और विक्रेता ,हवाईजहाज आविष्कारक और प्रशिक्षण ये उन दोनो का पेेशा था । और दोनों की जीवन 
साथी नहीं थी ।

इन दोनों ने आकाश में उड़ते हुए पंछी के देखा और देखने के बाद सोचने लगा, की ये पंछी अगर आसमान में उड़ सकती है तो इंसान क्यों नहीं उड़ सकती। तो हम दोनों भाई मिलकर एक ऐसा यंत्र का निर्माण करेंगे जिस यंत्र के सहारे इंसान को आसमान में उड़ाएंगे । जब मन में ये विचार आया और दोनों ने ठान लिया कि बनाना है तो बनाना है चाहे उसके लिए जो भी करना पड़े। फिर काम को सिलसिला जारी रखा, और सबसे पहले उन्होंने न्यूज में प्रकाशन किया, और उसमें लिखा हुआ था, कि हम दोनों भाई मिलकर एक ऐसा यंत्र का निर्माण करने जा रहे हैं जिस यंत्र के सहारे लोग आसमान में उड़ सकते हैं ।फिर टेलीविजन में दूरदर्शन में प्रचार प्रसारण किया । और जब ये संदेश को लोगों ने सुना पढ़ा और जाना, और उनका ये मैसेज पूरे विश्व में फैल में फैल गया । उनका सारे दोस्त और रिलेशन को पता  चल गया , और उनकी दोस्तों ने ये सारा जानने के बाद मजाक उड़ाने लगा, जहां भी मिलता है वहां पर बोलता है हटो हटो उड़ाने वाला आ रहा है हमलोग को भी उड़ा के ले जायेगा । जहां भी मिले, स्कूल हो या तो कॉलेज में या तो रास्ते में  सब जगह पर मजाक उड़ाया करता था । लोगों ने कहने लगा ये दोनों कुछ नहीं कर सकेगा लोहा को आसमान में उड़ने की बात करता है ये कभी संभव नहीं है असंभव है। पागल है ये दोनों। उसका पिताजी ने भी माना कर दिया कि बेटा ये सब कर पाना असंभव है। ये सब नहीं हो पाएगा लोहा अभी आसमान में नहीं उड़ सकता । उनके सारे दोस्तों ने भी माना किया ये काम छोड़ दो नहीं कर पवोगे, सारे रिश्तेदार ने भी माना किया बेकार में टाइम बर्बाद क्यों कर रहे हो पढ़ने लिखने में ध्यान लगाओ आगे काम आएगा जिस चीज को बनाने का आप दोनों ने सोचा है वो कभी नहीं हो सकता है। छोड़ दो उस काम को ।सब लोगों ने माना किया पर किसी का नहीं सुना । जब किसी का बात नहीं सुना तब उनका जितने भी दोस्त थे सब दोस्तियारी खत्म, रिश्तेदार खत्म पड़ोसी खत्म  उनके साथ कोई नहीं रहा अब सब के सब टूट गए, कोई नहीं रहा अपना सब हुआ पराया,यहां तक की अपना पिताजी ने भी अपना बेटा दोनों को बेटा कहने से इंकार किया,कहता था ये दोनों नलायक है नासमझ है उल्टा पैदा हुआ है, ना किसी का सुनता है और ना ही मेरा सुनता है, ये दोनों मेरा बेटा नहीं है।अगर मेरा बेटा होता तो मेरा बात सुनता ।
उसका पिताजी बोलते बोलते थक गया बाद में बोलना ही बंद कर दिया।

 
दोनों भाई ने काम में जुटा रहा इतना मेहनत करने लगा की कई बार तो मेहनत में भी असफल रहता था ,घर का सारा संपत्ति को नुकसान कर दिया था पिताजी ये सब को देखता है तो दिमाग खराब होता था ।जब काम शुरू किया 1900ईस्वी से
से काम को शुरू किया था।जिसमें की कई सारे समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसमें की 1160 बार असफल रहा और 1161 बार मेहनत करने में ही सफलता का हाथ लगा । सैयद  आप को इतना बार मेहनत करना होता तो छोड़ ही देता । और इस सफलता को पूरा करने में चार्ली का बहुत बड़ा योगदान रहा चार्ली ने जिस इंजन को बनाने में मदद की थी उसका वजन सिर्फ 200 पाउंड था और ये 12 हॉर्स पावर की ताकत देता था। इंजन पर सफलता मिलने के बाद भी राइट बंधुओं ने कई मुश्किलों का सामना कि और अंत में 17 दिसंबर 1903 को पहली उड़ान भरी। जिसमें 120फीट की ऊंचाई पर 12सेकेंड तक उड़ा ।

जहाज उड़ान का समय


जब जहाज को बना कर के कंप्लीट किया ,करने के बाद अब आती है उड़ाने की तो राईट ब्रदर्स ने क्या किया ? उन्होंने अनाउंसमेंट किया की हम दोनों भाई ने जहाज को उड़ाने वाले है नॉर्थ कैरोलिना के किल डेविल हिल्स में तो आप लोग जरूर आइए।

और उस मैदान में बहुत  सारे लोग एकत्रित हुवे  उसका रिश्तेदार भी पहुंचे घर वाले भी पहुंचे उनके सारे दोस्तों ने भी पहुंचे , अब आई उड़ने की बारी तो तो उसका दोस्तों ने रिलेशन वालों ने उसका पिताजी को बोलने लगा अभी भी वक्त है बचा लो अपने बेटे को उड़ जायेगा तो कभी वापस लौट के नहीं आयेगा मरने के सिवाय कोई उपाय नहीं है। उसका बाप परेशान और कहने लगा ये सब छोड़ दो मरने के लिए तैयार हो रहा है क्या? क्या यहां पर अपनी मौत दिखाने के लिए लोगों को बुलाए हो । किसी का बात नहीं सुनते हो न ही अपने बाप का कभी सुधरोगे नहीं साला । जब इतना सुनने के बाद राइट ब्रदर ने जहाज में बैठा और इंजन को स्टार्ट किया इंजन को हिट किया फिर कुछ देरी बाद में जहाज उड़ना शुरू किया जैसे ही उड़ना शुरू किया  तो देखने वाले का आंख खुली का खुली ही रह गया और बोलने लगा अब तो गया आपका बेटा जिंदा वापस नहीं लौटेगा। 12 सेकंड तक आसमान में चक्र लगाया फिर सही सलामत जमीन में लैंड किया तो सबका होश उड़ गया । होश का ठिकाना ही नहीं रहा लोगों का ।फिर राइट ब्रदर्स ने अपने पिता से आशीर्वाद लेने के लिए जहाज से नीचे उतरा और अपने पिता के चरणों में गिरा और उसका पिताजी पीठ में हाथ से थपथपाया और कहा सबास बेटा सबास आखिर बेटा किसका है? बेटा तो शेर सिंह का है । उसका पिताजी का खुशी का ठिकाना नहीं रहा , पहले बोलता था नालायक बच्चा, उल्टा पैदा हुआ है निकम्मा है किसी का नहीं सुनता है।जब कर के दिखाया तो बोला गया सब बात उल्टा हो गया।
और सब लोगों ने रिश्ता लगाना शुरू किया, भाई कैसे ठीक तो हो न , किसी ने कहता है ये मेरा दोस्त है किसी ने कहता है बचपन में हमलोग साथ में पढ़ाई करते थे ।किसी ने कहता है हमलोग का तो रिलेशन ही है।

पहले सब रिलेशन टूट गया था जब जमीनी हकीकत में कर  दिखाया फिर टूटा हुआ सब रिलेशन लोग उसके साथ रिलेशन जोड़ रहा है। ऐसा ही होता है शुरुआती दौर में इसीलिए जिस काम को शुरू करते हो उस काम को छोड़ना मत जब तक की उस काम में सफलता मिल न जाए।


थॉमस एल्वा एडिसन


आपने इसका नाम तो सुना ही होगा 
थॉमस अल्वा एडिसन ने बल्ब का अविष्कार किया था।आविष्कार करने से पहले उन्होंने रात में जलती हुई जुगनू को देखा और देखने के बाद सोचने लगा ये जुगनू अगर रात में जल सकती है तो मैं भी एक ऐसायंत्र क्यों नहीं बना सकता जिसके माध्यम से रात में प्रकाश को फैला सके।  

थॉमस एल्वा  जनम 11 फ़रवरी 1847 को मिलान ओहियो ,संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ। 
और उसकी  मृत्यु  18 अक्टूबर 1931 को वेस्ट ऑरेंज न्यू  जर्सी संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ। 
और उसका पत्नी का नाम मीणा मिलर एडिशन और मैरी स्टिलवेल थी ,  बच्चे चार्ल्स एडिशन मैरियन एस्टेल एडिसन विलियम लेस्ली एडिसन , मेडलिन एडिसन थियोडर   मिलर एडिसन था।   
 और  माता पिता नैन्सी मैथ्यू एलिअट और शमूएल ओर्डन एडिशन था। 

जब थॉमस एल्वा एडिसन ने सोचा जुगनू अगर रात में जल कर संसार में प्रकाश फैला सकता है तो मैं  एक ऐसा यन्त्र का निर्माण क्यों  सकता हूँ। जब यही सोच  लेकर मिशन में लगा और  काम करना  शुरू किया , जब काम को करना शुरू किया  कई सारा परेशानी और समस्याओं   सामना करना पड़ा। थॉमस काफी परेशान  हो गया  था। 
कई बार असफल हुआ लेकिन  इतना बार असफल होने वावजूद भी जीवन में कभी भी  हार नहीं मना
इतना संघर्ष किया की  संघर्ष में  वो अकेला था किसी ने साथ  नहीं दिया   फिर भी हर नहीं  मने,कई   बार कोशिश करता है  फिर भी असफल रह जाता है ,लेकिन कभी भी  हर को  हर नहीं मानता था इसी वजह से नौ हजार नौ सौ निन्यानब्बे  बार फ़ैल होने के बावजूद भी दस हजार बार में सफलता को हासिल कर लेता है। दोस्त सायद आप इसकी जगह पर होते तो क्या करते,परेशानी देखने  के बाद हर मन जाते क्या ? जीवन का शुरूआती दौर में काम करना  बड़ी कठिन होता है कोई भी काम इतना आसान नहीं होता है जो की आप उस काम को हँसते हँसते कर लो ऐसा सवाल ही खड़ा नहीं होता है ,की आप उस काम को जल्द में कर लें।

एक मंद बुद्धि  व्यक्ति होने के नाते थॉमस को स्कूल से निकल दिया गया था। लेकिन उनकी असफलता ही जीवन का सफलता के सिखर तक ले पंहुचा दिया है उन्होंने अपना पूरा जीवन  बदल कर रख दिया आज इतिहास के  पन्नों पर उनका  नाम दर्ज है। 

 

Right Direction - Education

जीवन में आगे बढ़ने का  सही दिशा है एजुकेशन। एजुकेसन के सिवय कोई और साधन नहीं है जिसके द्वारा हम आगे बढ़ सकते हैं।  एजुजेसन ही एक मात्र साधन है जिसके द्वारा आप जीवन में हर मुकाम तक पहुँच सकते हैं जीवन में हर बंद दरवाजे में भी रास्ता खोल सकते हैं। हर समस्यावों  का भी समाधान निकल सकते हैं। एजुकेशन रहने पर अप हर मुश्किलों में भी हार  नहीं मानेंगे  चाहे आप जितना भर भी असफल  हो जाओ। चाहे आप जैसा भी परिवार में जनम लिए हों , या तो कितने ही गरीब परिवार में क्यों न जन्म लिए हो , यदि आपके पास नोलेज है ज्ञान  तो आपकी हर परिस्तिथि को बदल सकते हो। 

शिक्षा इसलिए नहीं लेना चाहिए की हमें नौकरी मिले , शिक्षा का मतलब है ज्ञान को प्रदान करना , ताकि आप जीवन के हर  क्षत्र में कामयाब हो सके।                                                                                                                                                                                                                    

Right Energy-Team Work

टीम वर्क में  एक ऐसी ताकत है जिसे की कोई भी अकेला इन्सान हरा नहीं सकता है .जैसा की एक लकड़ी को आराम से तोडा जा सकता है लेकिन वैसा ही कई लकड़ी को गांठ बंधा जाए तो कोई तोड़ नहीं सकता है. अकेले में आपको हरा सकता हैलेकिन टीम वर्क में कम करने प-आर कोई आपको हरा नहीं सकता है .
किसी भी क्षेत्र बड़ी सफलता को पाना है तो टीम वर्क की अवसयक्ता होती है।   

शादी पार्टी (कहानी मेंढक की )

एक गांव में शादी पार्टी हो रहा था शादी पार्टी धूम धाम से  मनाया जा रहा था, शाम का समय  होने लगा और मौसम मौसम भी ऐसा बनाया की बारिश आ जाए , और कुछ देर में बारिश आना शुरू कर दिया, और इतना जोर से अंधी तूफान जैसा  बारिश आने लगा , लोगों में अफरा ताफरी मची और लोगों को भागने का रास्ता नहीं मिल रहा  था , बारिश के वजह  से   लोगों  ने बनाया हुआ पकवान तक को छोड़ दिया,सब लोग घर में घुस गया। और जोरदार बारिश की वजह से मेंढक लोग निकलने लगा और सब मेंढक अपनी अपनी भाषा गाने लगा ,कोई मेंढक उछल रहा है तो कोई नाच रहा है सब अपना अपना मस्त में है, दो ऐसा मेंढक था जो की एक बहरा था और दूसरा सुनने वाला  इन दोनों  मेंडक ने उछालते कूदते शादी पार्टी हो रहा था वहां पंहुचा और वहां पर पड़ा हुआ कढ़ाही में कूद पड़ा। और जितना भी उनका साथी  मेंढक था वो लोग भी वहां पंहुचा और उन गिरा हुआ बहिरा मेंढक और सुननेवाला मेंढक को देख कर हंसने लगा और कहने लगा तू डूब गया ,तू फंस गया तू मर गया तू अब निकल नहीं सकता। यही बात को सुनने वाला मेंढक ने बार बार सुनता है और सुन कर उसका दिमाग ख़राब हो जाता है और वहां से निकलने के लिए कोसिस करता है लेकिन निकल नहीं पता है, कई बार कोशिश करता है ,लेकिन कोशिश करते करते ही अपना दम तोड़ देता है। लेकिन बहिरा मेंढक को लगता है ये लोग मुझे सपोर्ट कर रहा है,कोशिश करोगे तो निकल सकते हो। कोशिश करोगे तो निकल सकते हो लगता था , जबकि उसे भी बोला  जा रहा था की तू डूब गया तू फंस गया तू मर गया तू निकल नहीं सकता। लेकिन बहिरा मेंढक समझने लगा की बाकि सारा मेंढक मुझे सपोर्ट कर रहा है। 
   जब मेंढक वहां से निकला , निकलने के बाद कई सरे मेंढक ने उस मेंढक के पास इकट्टा हो गए और पूछने लगे कैसे निकला? तब बहिरा मेंढक ने जवाब दिया आप लोगों की दुआ से। हमलोग तो बोल रहे थे कि आप डूब गए फंस गए मर गए अब निकल नहीं सकता है। फिर कैसे हमलोग की दुआ से? फिर बोलता है आप लोग की दुआ से। 

तो दस्तों ,साथियों आप लोगों से  कहना चाहूँगा कि आप जो भी काम को शुरू करते हो अगर वो काम  नया है तो लोग आप को मजाक उड़ायेंगे  उस काम का बुराई  करेंगें  कम का शिकायत करेंगे , आपको भी मेंढक के जैसा - तू फंस गया तू डूबा गया ये बेकार हो गया बर्बाद हो गया ,यूट्यूब  टीचर बन रहा है , ऐसा ऐसा वीडियो बनता है। 
ये कर रहे हैं वो कर रहे हैं ऐसा वीडियो बनता है। लोग बोलेगा उसका कोई परवाह नहीं कीजिये। आप आगे बड़ते जाइये आगे कम करते जाइये लोग क्या बोल रहा है उससे कोई मतलब नहीं।बहरा मेंढक के जैसा आप बने और और काम को करें जिस दिन आप जीवन में सफलता को हासिल कर लोगे, उस दिन उस लोग आपसे सफलता  का राज पूछेंगे, कैसे कामयाब हुए इसके बारे में लोग पूछेंगे तब लोगों को जवाब देना कि आप लोगों की दुआ से आप लोगों का दया से, आप लोगों का प्यार से , हम कामयाब हुए हैं। 


मेरी राय 

दोस्तों उम्मीद करता हूँ की आप सरे लोग ने बहुत कुछ सिखा होगा और आगे भी जीवन में सिखते रहोगे,ज्ञान को बढ़ाइये और आगे बढिए और सफलता को हासिल करिए। और कहीं पर भूल चुक हुई है तो माफ़ करना सुधार कर पढ़ लेना। (धन्यवाद)।