Football Match खेल भी एक कैरियर है

खेल भी एक कैरियर है 

हैल्लो सथियों आज हमलोग इस ब्लॉग के माध्यम से ऐसा खेल के बारे में जानेंगे जो कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है, ना जाने कितने ऐसे लोग हैं जो उस खेल को खेल कर अपनी जिंदगी में चार चाँद ला चूका है अपनी जीवन को संवर चूका है,अपनी सारी सपनों को भी पूरा कर चूका है लेकिन कुछ लोग ने उस खेल को खेल समझकर खेला उसने तो खेलते ही रह गया लेकिन जिसने उस खेल को करियर समझकर खेला और खेल भी रहा है उसी ने तो वर्ल्ड में,खेल की दुनिया में अपनी परचम फहरा चूका है और इतिहास रचा है, और उस खेल का नाम है फुटबॉल ।

 

फुटबॉल मैच

फुटबॉल मैच बहुत रोमांचकारी होता है। यह सैकड़ों लोगों को आकर्षित करता है। यह उत्तेजनापूर्ण होता है। यह एक मनोरंजक दृश्य उपस्थित करता है। फुटबॉल मैच देखना आनंददायक होता है। हाल में मैंने एक मनोरंजक फुटबॉल मैच देखा। यह हमारे विद्यालय की टीम और पटना स्पोर्टिंग क्लब के बीच खेला गया।

 खेल साढ़े चार बजे अपराह्न में प्रारंभ होनेवाला था, लेकिन लोग समय से बहुत पहले ही एकत्र होने लगे। वे मैच देखने को उत्सुक थे। सवा चार बजे सभी खिलाड़ी आ गए। ठीक साढ़े चार बजे निर्णायक ने सीटी बजाई और खेल शुरू हो गया। कुछ समय तक खेल में धीमापन था। करीब दस मिनटों के बाद खेल उत्तेजनापूर्ण हो गया। हमारे स्कूल की टीम आक्रमण करने लगी। हमारे अगले खिलाड़ियों ने बहुत कुशलता दिखलाई। दूसरे दल के गोलकीपर को अत्यंत कठिनाई का सामना करना पड़ा। जब गेंद गोल-पोस्ट की ओर जाता था तब दर्शक जोर से ताली बजाते थे। गेंद एक खिलाड़ी से दूसरे खिलड़ी तक जाता था। खिलाड़ी उत्तेजित थे। वे अपने विरोधी दल को हराने की कोशिश कर रहे थे। जब खिलाड़ी गेंद को अच्छी तरह उछालते थे तब दर्शक उनको शाबाशी देते थे। जोरदार शाबाशी से खिलाड़ी उत्तेजित हो जाते थे। यद्यपि खेल में सरगर्मी और उत्तेजना थी, फिर भी आधे समय तक कोई दल गोल नहीं कर सका ।

मध्यांतर के बाद खेल अधिक उत्तेजना के साथ शुरू हुआ। दोनों दलों के खिलाड़ी गोल करने की केशिश करने लगे। हमारे अगले खिलाड़ी अत्यंत कुशलता और शक्ति के साथ खेलने लगे। ज्योंही गेंद उनके पास आता था त्योंही वे उसे दूसरे दल के गोल पोस्ट की ओर उछाल देते थे। जब कोई खिलाड़ी गेंद दूसरे दल के गोल पोस्ट की ओर उछालता था तब लोग जोर से शाबाशी देते थे। कुछ समय के बाद हमारे एक अगले खिलाड़ी ने गेंद को जोर से उछाला। दूसरे दल का गोलकीपर गेंद को नहीं पकड़ सका और वह गोल पोस्ट के बीच से निकल गया। जोर से शाबाशी दी गई और कोलाहल हुआ। हमारे दल के खिलाड़ी खुशी से पागल हो रहे थे। उनके विरोधियों ने साहस नहीं खोया। वे अधिक कुशलता से खेलने लगे। खेल खतम होने के कुछ मिनट पहले हमारी टीम ने दूसरा गोल किया। दूसरे दल के खिलाड़ी निराश हो गए। उन्होंने खेल को केवल जारी रखा। जब खेल समाप्त हुआ तब हमारी टीम के खिलाड़ियों को उनकी विजय पर बधाई दी गई।

 वह खेल जो आपको सबसे अधिक पसंद है


 किसी लड़के या लड़की के समुचित विकास के लिए खेल उतना ही आवश्यक है जितना कि अध्ययन। एक से शरीर का विकास होता है और दूसरे से मस्तिष्क का। यही कारण है कि हर स्कूल में विभिन्न प्रकार के खेलों का प्रबंध रहता है। क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल, भॉलीबाल, टेनिस, बैडमिंटन इत्यादि उनमें से कुछ हैं। प्रत्येक विद्यार्थी की अपनी पसंद होती है। कुछ क्रिकेट पसंद करते हैं जबकि बहुत-से विद्यार्थी भॉलीबाल को सबसे अच्छा समझते हैं। जितने भी खेल हैं उनमें मैं फुटबॉल को सबसे अधिक पसंद करता हूँ।

 फुटबॉल का खेल बड़ा ही दिलचस्प है। यह दो दलों में खेला जाता है । प्रत्येक दल में ग्यारह खिलाड़ी होते हैं। इन ग्यारह खिलाड़ियों में एक गोलकीपर, दो फुल बैक, तीन हाफ बैक, और पाँच फारवर्ड होते हैं। खेल के निरीक्षण एवं नियंत्रण के लिए एक रेफरी भी रहता है। एक बड़े मैदान में यह खेल खेला जाता है। खेल निश्चित नियम होते हैं। खिलाड़ियों को उन्हें मानना पड़ता है।


इसे सबसे अधिक पसंद करने के कई कारण हैं। विदेशी खेलों में यह सबसे कम खर्चीला है। इसके लिए बृहत तैयारी की आवश्यकता नहीं होती। इसके लिए केवल एक अच्छे फुटबॉल की आवश्यकता होती है जो अधिक दिनों तक चलता है। टीम का संगठन भी कठिन नहीं है; क्योंकि हमारे बहुत-से मित्र इसमें भाग लेने के लिए बराबर ही तैयार रहते हैं। इससे शारीरिक व्यायाम अच्छा होता है। फुटबॉल के खेल में जल्द निर्णय लेने की कला का विकास होता है। हमलोग इससे प्रत्युत्पन्नमतित्व विकसित करते है। फुटबॉल का खिलाड़ी कभी सुस्त नहीं होता। वह मैदान में हमेशा ही सावधान रहता है। मेरे चुनाव का दूसरा महत्त्वपूर्ण कारण यह है कि इससे सहयोग की शिक्षा मिलती है। इस खेल से खिलाड़ियों में एकता और सहयोग की भावना  ́ आती है। इस खेल की अन्य प्रमुख विशेषता अनुशासन है जिसके कारण मैं इसे पसंद करता हूँ। यह खिलाड़ियों को अनुशासन का महत्त्व सिखाता है। खिलाड़ियों को मैदान में कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है। उन्हें रेफरी का निर्णय मानना पड़ता है। रेफरी अपने निर्णय में गलती कर सकता है, लेकिन खिलाड़ियों को उसे मानना ही पड़ता है। उन्हें अपने कप्तान की आज्ञा माननी पड़ती है। इन सभी चीजों से आदर्श नागरिक बनने में उन्हें सहायता मिलती है। फिर विदेशी खेल होते हुए भी फुटबॉल भारतीय स्थिति के लिए बहुत अधिक उपयुक्त है। साल में छः महीने यह खेला जा सकता है। इस खेल के संबंध में दूसरी बात यह है कि यह अधिक खर्चीला खेल नहीं है। मैं इस खेल को इसलिए भी पसंद करता हूँ कि इससे पढ़ाई में कम व्यवधान पड़ता है। यह खेल केवल एक घंटे के लिए संध्या में ही खेला जाता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि फुटबॉल यश और प्रसिद्धि प्राप्त करने का अवसर ही बहुत देता है। फुटबॉल के अच्छे खिलाड़ी का लोग अत्यधिक सम्मान करते हैं।


 साथियों आप जिस भी खेल को पसंद करते हो उस खेल में मन लगा कर खेलो तहे दिल से खेलो जब तक की आप उस खेल का पक्का खिलाड़ी न बन जाओ। हाँ लेकिन याद रहे पढ़ाई को भूल मत जाना, पढ़ाई भी करो खेल भी खेलो ताकि आपका मानसिक विकास भी बढ़ता जाये। खेल भी आपका जीवन को भी बदल सकता है।  साथियों वो समय गुजर गया लोग कहते थे पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नबाब खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब। साथियों बहुत बहुत धन्यवाद अपने कीमती समय से खेल के बारे में सिख रहे हैं इसी तरह से सीखते रहिये और अपनी ज्ञान को भी बढ़ाते रहिये।